चालक, कुचालक और अर्द्धचालक chalak kuchalak ardhchalak
हेलो दोस्तों आज के इस लेख के अंदर मैंने आपके लिए चालक, कुचालक और अर्द्धचालक किसे कहते हैं आखिर ये क्या है से रिलेटेड इंफॉर्मेशन को हिंदी में आपके सामने लाया हूं। इसमें में आपको चालक, कुचालक और अर्द्धचालक यानी good conductors, bad conductors and semiconductors को एक एक करके समझाया गया है। सभी को अवश्य देखे।चालक, कुचालक और अर्द्धचालक |
चालक अथवा सुचालक किसे कहते हैं
ऐसे पदार्थ जिनमे से विधुत धारा का प्रवाह बहुत आसानी से या बिना किसी रुकावट के विधुत धारा का प्रवाह होता है, उन्हें ही चालक या सुचालक कहते है। विद्युत चालक पदार्थ मे अधिक मात्रा मे मुक्त इलेक्ट्राॅन पाये जाते हैं । विद्युत ऊर्जा द्वारा चलने वाले प्रत्येक उपकरण का निर्माण चालक पदार्थ द्वारा किया जाता है ।
क्रमिक रूप से चालक धातु
सोना > चांदी >कापर >ऐल्युमिनियम
सोना सबसे अधिक चालक हैं।
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सामान्य रूप से देखा जाए तो सभी धातु चालक होते हैं सबसे अधिक चालक या सुचालक धातु सोना होता है, इसके बाद दुसरे नंबर पर चालक या सुचालक धातु चांदी है। परन्तु दोनों धातु बहुत महंगे होने के कारण इसका प्रयोग नहीं होता हैं। अब इन दोनों धातुओं के बाद तीसरे नंबर पर कापर और ऐल्युमिनियम आता है इसका उपयोग सामान्यतः सभी विद्यत उपकरण में करते है आजकल कापर के थोडा महंगा होने के कारण इसके पर भी ऐल्युमिनियम कही अधिकतर उपयोग कर लिया जाता हैं।प्रोटीन क्या है इसकी परिभाषा
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चालक या सुचालक के बारे में कुछ अन्य तथ्य
1) चालक का प्रयोग विधुत धारा के प्रवाह और चलित उपकरणों के निर्माण में होता हैं।
2) चालक जितना अच्छा होता है, उसमे प्रतिरोध उतना ही कम होता है।
3) चालक में मुक्त इलेक्ट्रान अधिक होते हैं।
अचालक या कुचालक(Bad Conductor) किसे कहते हैं
ऐसे पदार्थ जिनमे विधुत धारा का प्रवाह नहीं होता है, उन्हें अचालक अथवा कुचालक पदार्थ कहते है।या
वे पदार्थ होते हैं जो तुलनात्मक रूप से विद्युत धारा के प्रवाह का विरोध करते हैं या जिनमें से होकर समान स्थितियों में धारा प्रवाहित नहीं होती है। लकड़ी (सूखी हुई), बैकेलाइट, एस्बेस्टस, चीनी मिट्टी, कागज, पीवीसी आदि कुचालकों के कुछ उदाहरण हैं।
अचालक या कुचालक के बारे में कुछ अन्य तथ्य
1) कुचालक पदार्थ को इंसुलेटर (Insulator) भी कहते है।
2) जहाँ विधुत धारा को जाने से रोकना होता है, वहां कुचालक पदार्थो का उपयोग किया जाता है।
3) इनमे मुक्त इलेक्ट्रान न के बराबर होते है।
4) इसका उपयोग चालक तार के आवरण व विधुत के रोधी वस्तु बनाने में होता है |
अर्द्धचालक (Semiconductor) किसे कहते हैं।
ये वे पदार्थ होते है जिसमे सामान्य स्थिति में विधुत धारा प्रवाहित नहीं होता है लेकिन अशुद्धिया मिलने अथवा इनके तापमान बढ़ने पर उसकी चालकता बढ़ सकती है और इसमे विधुत धारा का प्रवाह भी होने लगता हैं उन्हें अर्द्धचालक कहते है।या फिर
उन पदार्थों को कहते हैं, जिनकी विद्युत चालकता चालकों (जैसे ताँबा) से कम किन्तु अचालकों(जैसे काच) से अधिक होती है। (आपेक्षिक प्रतिरोध प्रायः 10-5 से 108 ओम-मीटर के बीच) सिलिकॉन, जर्मेनियम, कैडमियम सल्फाइड, गैलियम आर्सेनाइड आदि अर्धचालक पदार्थों के उदाहरण हैं ।
वैद्युत प्रौद्योगिकी में जिस तरह सुचालकों, अर्धचालकों एवं अतिचालकों के विविध उपयोग हैं, उसी प्रकार कुचालकों के भी विविध प्रकार से उपयोग किये जाते हैं । ये सुचालक तारों के ऊपर चढ़ाये जाते हैं। विद्युत मशीनों के वाइंडिंग में तारों की परतों के बीच उपयोग किये जाते हैं। उच्च वोल्टता की लाइनों को खम्भों या तावरों से लटकाने/झुलाने आदि विविध कामों में प्रयुक्त होते हैं।
चालक, कुचालक और अर्द्धचालक (good conductors, bad conductors and semiconductors) से संबंधित दी गई जानकारी आपको कैसी लगी आप कमेंट करके अवश्य बताए। हमारे अन्य लेख भी पढ़े
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