पूर्ण आन्तरिक परावर्तन क्या होता है पर इसके नियम के साथ साथ उदाहरण को भी इस लेख में नीचे पूरी जानकारी की विस्तार पूर्वक इस लेख में शामिल किया गया है।
2) और इस परावर्तन की दूसरी शर्त है कि सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती हुई प्रकाश की किरण के आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक होना आवश्यक है।फिर अपवर्तन कोण का मान 90 डिग्री से ज्यादा होगा एवं पूर्ण आंतरिक परावर्तन की घटना हो पाएगी।
गर्मियों के दिनों में रेगिस्तान में किसी पेड़ का प्रतिबिंब हमें नीचे दिखाई पड़ता है, जैसे कि वह पेड़ पानी में दिख रहा हो, ऐसा इसलिए होता है गर्मियों के दिनों में रेगिस्तान में रेत गर्म हो जाती है। जिससे जमीन के पास वाली बाई की परतें बेल माध्यम का काम करती हैं। इन जमीन के पास वाली वायु की परतों का घनत्व ऊपर की परतों से कम होता है। जमीन के पास की वायु की पर्दे विरल माध्यम तथा ऊपर सघन माध्यम हो जाता है। तब किसी वस्तु से चलने वाली किरण नीचे की ओर आती है
तो उसे सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करना होगा ऐसे में किरणे अभिलंब से दूर हटेगी आपतन कोण का मान बढ़ने पर अपवर्तन कोण का मान बढ़ता है। एवं आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण के मान से अधिक होने पर इन किरणों का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जाता है। अर्थात की किरण वापस उसी माध्यम में लौटने लगती हैं। हमारी आंखों की ओर तब उन्हें विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करना होता है। जिसमें अभिलंब की ओर झुकती हो सकती हैं जब यह किरण आंखों मैं प्रवेश करती हैं तो वह पेड़ हमें उल्टा दिखाई पड़ता है।
प्रकाशिक तंतु एक ऐसी डिवाइस है जिससे प्रकाश सिग्नल को बिना कम कीजिए अर्थात उसी तीव्रता से लंबी दूरी तक भेजा जा सकता है। प्रकाशिक तंतु सिग्नल को पूर्ण आंतरिक परावर्तन(Total Internal Reflection) से ही एक जगह से दूसरी जगह पहुंच आती है।
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन से संबंधित और नियम व उदाहरण (Total internal reflection) in Hindi का यह लेख कैसा लगा आप नीचे कमेंट करके अवश्य जाएं और अन्य लेख भी पढ़ें।
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन (Total Internal Reflection in hindi)
यह एक प्रकाशीय परिघटना है जिसमें प्रकाश की किरण किसी माध्यम के तल पर ऐसे कोण पर आपतित होती है, कि उसका परावर्तन उसी माध्यम में हो जाता है । इसके कुछ मुख्य शर्त आवश्यक होती है जो कि प्रकाश की किरण अधिक अपवर्तनांक के माध्यम से कम अपवर्तनांक के माध्यम में प्रवेश करे (यानी सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करें) और आपतन कोण का मान "क्रान्तिक कोण" से अधिक हो । प्रकाशीय तन्तुओं का कार्य पूर्ण आन्तरिक परावर्तन(Total Internal Reflection) के सिद्धान्त पर ही आधारित है। ।{**यह भी पढ़ें**}
- गुरुतवाकर्षण बल
- परावर्तन और अपवर्तन
- ससंजन और आसंजन क्या है
- धातु किसे कहते हैं
- धातु के रासायनिक और भौतिक गुण
- प्रोटीन क्या है इसकी परिभाषा
- वसा किसे कहते हैं इसके प्रमुख प्रकार
- कार्बोहाइड्रेट क्या है इसके प्रकार
- परासरण दाब किसे कहते हैं
- परावर्तन और अपवर्तन
पूर्ण आंतरिक परावर्तन(Total Internal Reflection) की नियम और शर्तें नीचे हैं
1) पूर्ण आंतरिक परावर्तन होने के लिए पहला नियम शर्त है कि प्रकाश की किरण का सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाना आवश्यक होता है। क्योंकि सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाने पर ही किरण अभिलंब से दूर हटती है।2) और इस परावर्तन की दूसरी शर्त है कि सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती हुई प्रकाश की किरण के आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक होना आवश्यक है।फिर अपवर्तन कोण का मान 90 डिग्री से ज्यादा होगा एवं पूर्ण आंतरिक परावर्तन की घटना हो पाएगी।
पूर्ण आंतरिक परावर्तन(Total Internal Reflection) के उदाहरण नीचे दिए गए हैं
1) रेगिस्तान की मरीचिका
गर्मियों के दिनों में रेगिस्तान में किसी पेड़ का प्रतिबिंब हमें नीचे दिखाई पड़ता है, जैसे कि वह पेड़ पानी में दिख रहा हो, ऐसा इसलिए होता है गर्मियों के दिनों में रेगिस्तान में रेत गर्म हो जाती है। जिससे जमीन के पास वाली बाई की परतें बेल माध्यम का काम करती हैं। इन जमीन के पास वाली वायु की परतों का घनत्व ऊपर की परतों से कम होता है। जमीन के पास की वायु की पर्दे विरल माध्यम तथा ऊपर सघन माध्यम हो जाता है। तब किसी वस्तु से चलने वाली किरण नीचे की ओर आती है
तो उसे सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करना होगा ऐसे में किरणे अभिलंब से दूर हटेगी आपतन कोण का मान बढ़ने पर अपवर्तन कोण का मान बढ़ता है। एवं आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण के मान से अधिक होने पर इन किरणों का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जाता है। अर्थात की किरण वापस उसी माध्यम में लौटने लगती हैं। हमारी आंखों की ओर तब उन्हें विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करना होता है। जिसमें अभिलंब की ओर झुकती हो सकती हैं जब यह किरण आंखों मैं प्रवेश करती हैं तो वह पेड़ हमें उल्टा दिखाई पड़ता है।
2) हीरे का चमकना
हीरा का चमकना भी पूर्ण आंतरिक परावर्तन का उदाहरण हैं। यह बहुत ज्यादा पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण ही चमकता है। हीरे के लिए क्रांतिक कोण का मान 24.41° होता है। यह बहुत ही कम है जब कोई प्रकाश की किरण हीरे से टकराती है, उस समय हीरे का क्रांतिक कोण का मान कम होने के कारण उस किरण का पूर्ण आंतरिक परावर्तन(Total Internal Reflection) होता है। हीरे से टकराया हुए प्रकाश केवल उन्हीं बिंदुओं से बाहर निकलता है और जहां उसे आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण के मान से कम मिलता है। और बचा हुए प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता रहता है। इसलिए हीरे की चमक बढ़ जाती है।3) प्रकाशिक तंतु(ऑप्टिकल फाइबर केबल)
प्रकाशिक तंतु एक ऐसी डिवाइस है जिससे प्रकाश सिग्नल को बिना कम कीजिए अर्थात उसी तीव्रता से लंबी दूरी तक भेजा जा सकता है। प्रकाशिक तंतु सिग्नल को पूर्ण आंतरिक परावर्तन(Total Internal Reflection) से ही एक जगह से दूसरी जगह पहुंच आती है।
{**यह भी पढ़ें**}
- गुरुतवाकर्षण बल
- परावर्तन और अपवर्तन
- ससंजन और आसंजन क्या है
- धातु किसे कहते हैं
- धातु के रासायनिक और भौतिक गुण
- प्रोटीन क्या है इसकी परिभाषा
- वसा किसे कहते हैं इसके प्रमुख प्रकार
- कार्बोहाइड्रेट क्या है इसके प्रकार
- परासरण दाब किसे कहते हैं
- परावर्तन और अपवर्तन
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन से संबंधित और नियम व उदाहरण (Total internal reflection) in Hindi का यह लेख कैसा लगा आप नीचे कमेंट करके अवश्य जाएं और अन्य लेख भी पढ़ें।
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