आवृत्ति और आवेग (Frequency and impulse)
आवृत्ति और आवेग दोनों को ही सरलता पूर्वक नीचे बताए हैं। आपको यह जानकारी अवश्य ही अच्छी लगेगी।
आवृत्ति (frequency)
कोई आवृत घटना (बार - बार दोहराई जाने वाली घटना), इकाई समय में जितनी बार घटित होती है, उस प्रकार की घटना को आवृत्ति (frequency) कहते हैं। आवृति को किसी साइनाकार तरंग के कला परिवर्तन की rate के रूप में भी समझा जा सकता हैं । 

आवृति की इकाई हर्त्ज (साकल्स प्रति सेकण्ड) होती है।

एक कम्पन पूरा करने में जितना समय लगता है, उसे आवर्त काल कहते हैं ।

आवर्त काल = 1 / आवृति
अर्थात, T = 1 / f
{** यह भी पढ़ें **}

  1. कार्य ऊर्जा और शक्ति 
  2. गुरुतवाकर्षण बल
  3. कोणीय वेग और रेखीय वेग
  4. अपकेन्द्रीय बल और अभिकेंद्रीय बल
  5. सदिश राशि और अदिश राशि
  6. त्वरण, वेग और चाल
  7. चालक, कुचालक और अर्द्धचालक


आवेग
बल और समय के अंतराल के गुणनफल को बल का आवेग कहते हैं ।

यदि किसी पिंड पर एक नियम बल F को डेल्टा t समय के अंतराल के लिए लगाया जाये , तो उस बल का आवेग F * डेल्टा t होगा । 

आवेग एक सदिश राशि है। 
इसकी दशा वही होगी जो बल की है।

माना कि किसी पिण्ड का द्रव्यमान m है। इस पर नियम बल F को डेल्टा t समय के अंतराल के लिए लगाए गए वेग में डेल्टा v परिवर्तन होता है। 

तब न्यूटन के नियमानुसार-

F = m*a = m * डेल्टा v / डेल्टा t

F डेल्टा t = m डेल्टा t

अब  m डेल्टा v = डेल्टा p
इसलिए  F डेल्टा t = डेल्टा p

अतः किसी पिंड को दिया गया आवेग , पिंड में उत्पन्न संवेग परिवर्तन के बराबर होता है । 

अतः आवेग का मात्रक भी वही होता है जो संवेग (न्यूटन.सेकेण्ड) का है।

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  7. चालक, कुचालक और अर्द्धचालक
  8. ससंजन और आसंजन क्या है

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